Published by :- Ritik Soni
Updated on: Friday, 17 Jan 2025
Contents
- 1 सकट चौथ 2025: व्रत, चांद निकलने का समय, पूजा विधि और कथा – पूरी जानकारी
- 1.1 सकट चौथ 2025: चांद निकलने का समय
- 1.1.1 सकट चौथ व्रत कथा
- 1.1.2 सकट चौथ 2025: पूजा विधि
- 1.1.3 निष्कर्ष
- 1.1.4 Sakat Chauth 2025: Frequently Asked Questions (FAQs)
- 1.1.4.1 1. सकट चौथ का व्रत किस दिन होता है?
- 1.1.4.2 2. सकट चौथ का महत्व क्या है?
- 1.1.4.3 3. सकट चौथ व्रत कैसे करते हैं?
- 1.1.4.4 4. चांद को अर्घ्य देने का समय कब होता है?
- 1.1.4.5 5. सकट चौथ व्रत का पारण कैसे किया जाता है?
- 1.1.4.6 6. सकट चौथ व्रत में क्या खाना खा सकते हैं?
- 1.1.4.7 7. सकट चौथ व्रत की कथा क्या है?
- 1.1.4.8 8. सकट चौथ पर क्या विशेष पूजा सामग्री चाहिए?
- 1.1.4.9 9. क्या सकट चौथ का व्रत पुरुष भी कर सकते हैं?
- 1.1.4.10 10. सकट चौथ का व्रत कहां से शुरू हुआ?
- 1.1.5 Related
- 1.1 सकट चौथ 2025: चांद निकलने का समय
सकट चौथ 2025: व्रत, चांद निकलने का समय, पूजा विधि और कथा – पूरी जानकारी
सकट चौथ 2025 महिलाओं के लिए एक खास अवसर है, खासकर उन माताओं के लिए जो अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए यह व्रत करती हैं। माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ मनाई जाती है, जिसे भगवान गणेश की पूजा और संतान सुख के लिए व्रत के रूप में माना जाता है। इस ब्लॉग में जानिए सकट चौथ की पूजा विधि, व्रत कथा, चांद निकलने का समय और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
सकट चौथ 2025: चांद निकलने का समय

सकट चौथ पर चांद निकलने का समय शहर दर शहर भिन्न होता है। यहां कुछ प्रमुख शहरों के लिए चांद निकलने का समय दिया गया है:
- मुंबई: 09:34 PM
- गोरखपुर: 08:45 PM
- बरेली: 09:00 PM
- कोटा: 09:18 PM
- रायपुर: 09:04 PM
- बेंगलुरु: 09:19 PM
- चेन्नई: 09:08 PM
- अहमदाबाद: 09:33 PM
- हैदराबाद: 09:12 PM
- कोलकाता: 08:28 PM
- पुणे: 09:31 PM
- लुधियाना: 09:13 PM
- विशाखापट्टनम: 08:53 PM
- जोधपुर: 09:29 PM
- इंदौर: 09:20 PM
- वाराणसी: 08:48 PM
- श्रीनगर: 09:15 PM
सकट चौथ की पूजा के लिए चांद निकलने का समय सही होना चाहिए, क्योंकि इस समय के बाद ही व्रत का पारण (व्रत खोलना) किया जाता है।
सकट चौथ व्रत कथा
सकट चौथ व्रत की कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक नगर में एक कुम्हार बर्तन बना रहा था, लेकिन उसका आवा (मिट्टी का बर्तन) नहीं पक रहा था। परेशान होकर कुम्हार राजा के पास पहुंचा और इसकी समस्या बताई। राजा ने अपने राजपंडित से समाधान पूछा, तो पंडित ने बताया कि हर दिन एक-एक बच्चे की बलि दी जाए, तभी आवा पकेगा। राजा ने आदेश दिया और एक-एक बच्चे की बलि देने का सिलसिला शुरू हो गया।
जब एक बुढ़िया की बारी आई, तो उसने चिंता जताई कि उसका एकलौता बेटा ही तो है, यदि वह बलि चढ़ जाएगा तो उसका क्या होगा? तब उसने अपने बेटे को सकट माता की कृपा के लिए सुपारी और दूब चढ़ाते हुए कहा कि सकट माता उसकी रक्षा करेंगी। अगले दिन कुम्हार को आवा ठीक से पक गया और चमत्कारिक रूप से वह बच्चा भी जीवित रहा। इस घटना के बाद से ही सकट चौथ व्रत का महत्व बढ़ा और माताएं इस दिन अपनी संतान की रक्षा के लिए व्रत रखने लगीं।
सकट चौथ 2025: पूजा विधि
सकट चौथ के दिन निम्नलिखित पूजा विधि का पालन करना चाहिए:
- सुबह का समय: जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के वस्त्र पहनें।
- भगवान गणेश की पूजा: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
- व्रत: पूरे दिन निर्जला उपवास रखें और भगवान गणेश की पूजा एवं स्तुति करते रहें।
- शाम की पूजा: शाम के समय, शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा विधिपूर्वक करें और साथ ही सकट चौथ की कथा सुनें।
- चांद की पूजा: रात को चांद को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें। इस समय, चांद को अर्घ्य देने के बाद अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, केवल फलाहार किया जा सकता है।
- विशेष ध्यान: अगर संभव हो तो फलाहार में केवल मीठे व्यंजन ही खाएं।
- भगवान गणेश को भोग: भगवान गणेश को तिल के लड्डू, गुड़, शकरकंद, गन्ना और घी अर्पित करें। यह अत्यंत शुभ माना जाता है।
साथ ही ध्यान रखें कि चांद को तांबे के लोटे से अर्घ्य न दें, क्योंकि यह व्रत के नियमों के खिलाफ है।
निष्कर्ष
सकट चौथ व्रत का पालन करके महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों के लिए सुख, समृद्धि और मंगल की कामना भी करता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा, सकट चौथ की कथा, और चांद की पूजा से व्रत का पारण करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
हम आशा करते हैं कि आपको सकट चौथ के बारे में यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। अगर आपके पास कोई प्रश्न हो या अन्य जानकारी चाहिए हो, तो कृपया हमें कमेंट करके बताएं।
Sakat Chauth 2025: Frequently Asked Questions (FAQs)
Here are some common questions related to Sakat Chauth that people often ask:
1. सकट चौथ का व्रत किस दिन होता है?
सकट चौथ का व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए किया जाता है।
2. सकट चौथ का महत्व क्या है?
सकट चौथ का व्रत संतान सुख और उनकी रक्षा के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन माताओं द्वारा किया जाता है जो अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए भगवान गणेश की पूजा करती हैं। इस दिन माता सकट की पूजा भी होती है, जो बच्चों की रक्षा करती हैं।
3. सकट चौथ व्रत कैसे करते हैं?
सकट चौथ व्रत की विधि इस प्रकार है:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के कपड़े पहनें।
- भगवान गणेश की पूजा करें।
- पूरे दिन निर्जला उपवास रखें और गणेश जी की स्तुति करें।
- शाम को विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा करें और सकट चौथ की कथा सुनें।
- रात को चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।
4. चांद को अर्घ्य देने का समय कब होता है?
चांद को अर्घ्य देने का समय चांद के उगने के बाद होता है। चांद निकलने का समय शहर दर शहर अलग होता है, जो ऊपर दिए गए टाइम टेबल में आप देख सकते हैं।
5. सकट चौथ व्रत का पारण कैसे किया जाता है?
सकट चौथ का पारण रात को चांद को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। चांद को अर्घ्य देने के बाद फलाहार किया जा सकता है, लेकिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। यदि कोई महिला रात में व्रत का पारण नहीं करती है, तो वह अगले दिन व्रत खोल सकती है।
6. सकट चौथ व्रत में क्या खाना खा सकते हैं?
सकट चौथ के व्रत में फलाहार किया जाता है। आप मीठे व्यंजन जैसे फल, हलवा, खीर आदि खा सकते हैं, लेकिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से तिल के लड्डू, गुड़, शकरकंद और घी का भोग भगवान गणेश को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
7. सकट चौथ व्रत की कथा क्या है?
सकट चौथ की कथा में एक नगर के कुम्हार की कहानी है, जिसके बर्तन नहीं पकते थे। राजा ने आदेश दिया कि हर घर से एक बच्चा बलि चढ़ाया जाए। लेकिन एक बुढ़िया ने अपनी संतान की रक्षा के लिए सकट माता का आह्वान किया और उसके बच्चे की बलि बच गई। इसके बाद से ही सकट चौथ के व्रत का महत्व बढ़ा और माताएं इसे संतान की रक्षा के लिए करने लगीं।
8. सकट चौथ पर क्या विशेष पूजा सामग्री चाहिए?
सकट चौथ की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र
- सुपारी, दूब, तिल, गुड़, घी, शकरकंद, गन्ना
- तांबे का लोटा (अर्घ्य देने के लिए, लेकिन तांबे का लोटा चांद को अर्घ्य देने के लिए उपयोग न करें)
- दीपक, धूप, अगरबत्तियाँ
- लाल रंग के कपड़े
9. क्या सकट चौथ का व्रत पुरुष भी कर सकते हैं?
सकट चौथ का व्रत सामान्यतः महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए करती हैं। हालांकि, अगर कोई पुरुष भी यह व्रत करना चाहे तो वह भी कर सकता है, लेकिन यह विशेष रूप से माताओं के लिए होता है।
10. सकट चौथ का व्रत कहां से शुरू हुआ?
सकट चौथ का व्रत भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित है, और इसका धार्मिक महत्व भगवान गणेश और सकट माता की पूजा से जुड़ा है। यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में ज्यादा मनाया जाता है।
अगर आपके मन में और कोई सवाल हो या आप कुछ और जानकारी चाहते हैं, तो कृपया कमेंट में पूछें। हम आपकी मदद करने के लिए यहां हैं
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