केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष रेल कर्मियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा शिकायतें प्राप्त हुईं। इसके बाद दिल्ली के स्थानीय निकायों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्थान है। सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सभी श्रेणियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की 74203 शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
By RoshanEdited By: RoshanUpdated: Wed, 04 Sep 2024 6 : 36 AM

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रेल कर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें (फाइल फोटो)
पीटीआई, दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष रेल कर्मियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा शिकायतें प्राप्त हुईं। इसके बाद दिल्ली के स्थानीय निकायों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्थान है।सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में सभी श्रेणियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की 74,203 शिकायतें प्राप्त हुई थीं जिनमें से
66,373 का निपटारा कर दिया गया और 7,830 शिकायतें लंबित हैं।
सबसे ज्यादा 10,447 शिकायतें रेल कर्मियों और 7,665 शिकायतें जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार) को छोड़कर दिल्ली के स्थानीय निकायों के कर्मचारियों के विरुद्ध प्राप्त हुई थीं। दिल्ली के स्थानीय निकायों में दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत ढांचा विकास निगम लिमिटेड, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम, दिल्ली परिवहन निगम, दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड,
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, इंद्रप्रस्थ विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड, दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगर परिषद शामिल हैं।रिपोर्ट के मुताबिक, रेल कर्मियों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों में से 556 लंबित हैं, जबकि दिल्ली के स्थानीय निकायों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों में से 387 लंबित हैं।
7,004 शिकायतों में से 337 लंबित
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मियों के विरुद्ध प्राप्त 7,004 शिकायतों में से 337 लंबित हैं। दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के विरुद्ध प्राप्त 6,638 शिकायतों में से 6,246, दिल्ली पुलिस के विरुद्ध प्राप्त 5,313 शिकायतों में से 3,325 और आवासीय व शहरी मामलों के विभाग के कर्मियों विरुद्ध प्राप्त 4,476 शिकायतों में से 3,723 का निपटारा कर दिया गया।इसी तरह कोयला मंत्रालय के कर्मियों के विरुद्ध 4,420;
श्रम मंत्रालय के कर्मियों के विरुद्ध 3,217; पेट्रोलियम मंत्रालय के कर्मियों के विरुद्ध 2,749; गृह मंत्रालय के कर्मियों के विरुद्ध 2,309, रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के विरुद्ध 1,861; सीबीडीटी कर्मियों के विरुद्ध 1,828, दूरसंचार कर्मियों के विरुद्ध 1,457; केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमाशुल्क बोर्ड कर्मियों के विरुद्ध 1,205; सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के विरुद्ध 960, ऊर्जा मंत्रालय के कर्मियों के विरुद्ध 930, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के विरुद्ध 929 और कार्मिक एवं जनशिकायत व पेंशन विभाग के कर्मियों के विरुद्ध 889 शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
निकायों, रेलवे, बैंक कर्मचारियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की सर्वाधिक शिकायतें मिलीं: सीवीसी
केंद्रीय सतर्कता आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उसे साल 2019 में विभिन्न श्रेणियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ख़िलाफ़ 81,494 शिकायतें मिलीं, जिनमें 16,291 शिकायतें दिल्ली के स्थानीय निकायों के ख़िलाफ़ थीं.
नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली जल बोर्ड जैसे राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न स्थानीय निकायों, रेलवे और बैंकों के कर्मचारियों के खिलाफ पिछले साल भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार, संबंधित सरकारी संगठनों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों को 2019 में विभिन्न श्रेणियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ 81,494 शिकायतें मिलीं, जिनमें 16,291 शिकायतें दिल्ली के स्थानीय निकायों (दिल्ली सरकार को छोड़कर) से जुड़े लोगों के खिलाफ आईं.
इसके अलावा 11,797 शिकायतें रेलवे और 8,887 शिकायतें बैंकों के अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध मिलीं.
मुख्य सतर्कता अधिकारी विभिन्न सरकारी संगठनों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सीवीसी की एक इकाई के तौर पर काम करते हैं.
सीवीसी की यह रिपोर्ट हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश की गई और यह रिपोर्ट रविवार को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (डीएसआईडीसी), दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम लिमिटेड, दिल्ली परिवहन निगम, दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड और कई अन्य एजेंसियों से संबंधित लोगों के खिलाफ रिश्वत की शिकायतें मिलीं.
इन स्थानीय निकायों के खिलाफ जो 16,291 शिकायतें आईं, उनमें से 14,290 का निस्तारण कर दिया गया और 2,001 लंबित हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे को भ्रष्टाचार के संदर्भ में जो 11,797 शिकायतें मिलीं उनमें 10,502 का निस्तारण कर दिया गया और 1,295 शिकायतें लंबित हैं.
इसमें कहा गया है कि आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के तहत आने वाली विभिन्न एजेंसियों के कर्मचारियों के खिलाफ 4,223 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 2,714 का निस्तारण हो गया और 1,509 शिकायतें लंबित हैं.
मुख्य सतर्कता अधिकारिरी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, कोयला मंत्रालय के तहत आने वाले कर्मचारियों के खिलाफ 4,214 शिकायतें मिली थीं (जिनमें 3,828 का निस्तारण किया गया), पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत 2,750 शिकायतें (2,236 निपटाए गए), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड या सीबीडीटी के तहत 2,518 मामले (1,211 जिनमें से निपटाए गए), रक्षा विभाग के तहत 2,447 मामले (2,003 निपटाए गए), दूरसंचार के तहत 2,378 मामले (2,110 निपटाए गए) और गृह मंत्रालय के तहत कर्मचारियों के खिलाफ 2,127 मामले प्राप्त हुए थे.
मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीवीओ) को आयोग को सतर्कता गतिविधियों की तिमाही प्रदर्शन रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक होता है. सीवीओ द्वारा प्राप्त शिकायतों के अलावा, सीवीसी को 2019 के दौरान कुल 32,579 शिकायतें मिलीं, जो कि 2018 में मिलीं 29,979 शिकायतों से अधिक है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वर्ष 2019 में 35,649 शिकायतें प्राप्त हुईं (जिसमें 2018 की 3,070 शिकायतें शामिल हैं), जिनमें से 34,813 शिकायतों का निपटारा किया गया. इन शिकायतों में से 6,975 शिकायतें अनाम/छद्म नाम की थीं, जो कि आयोग की शिकायत निपटारे की नीति के अनुसार दायर किए गए थे.’
कई शिकायतों में आरोपों को अस्पष्ट या अयोग्य पाया गया था.
आयोग की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि सीवीसी को राज्य सरकारों और अन्य संगठनों में काम करने वाले लोक सेवकों के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतें मिलीं, जो आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं या जो कि प्रशासनिक प्रकृति के थे.
सीवीसी को साल 2017 में 23,609 शिकायतें, 2016 में 49,847 और 2015 में 29,838 शिकायतें मिली थीं.
प्राप्त शिकायतों की छानबीन के बाद आयोग केवल उन मामलों में एजेंसियों से उपयुक्त जांच रिपोर्ट मांगता है, जिनमें गंभीर और सत्यापन योग्य आरोप होते हैं. निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट आयोग को भेजनी होती है.
इस संदर्भ में आयोग ने कहा, ‘हालांकि यह देखा गया है कि अधिकांश मामलों में आयोग को रिपोर्ट सौंपने में काफी देरी होती है. आयोग को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने में देरी करना गंभीर चिंता का विषय है. ऐसी स्थिति में आयोग सीईओ/सीवीओ को व्यक्तिगत रूप से रिकॉर्ड/दस्तावेजों के साथ समन कर सकता है.’