झारखंड में एक और कोयला खदान खुलने की खबर वाकई महत्वपूर्ण है। रैयतों को मिलेंगे 25 लाख रुपए प्रति एकड़
हजारीबाग के गोंदुलपारा में कोयला खनन करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. इस खदान के शुरु हो जाने से झारखंड में खदानों की संख्या 200 हो जाएगी.
By
Ritik Kumar
September 26, 2024
हजारीबाग के गोंदुलपारा खनन परियोजना के तहत सेक्शन 19 लगाए जाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, जो खनन शुरू होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस कदम से झारखंड में एक और खदान खुलने का रास्ता साफ हो गया है. इससे रैयतों को मुआवजे में प्रति एकड़ 24,56,986 रुपये मिलेंगे. इस खदान के शुरु हो जाने से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
हजारीबाग से राज्य को 500 करोड़ प्रतिवर्ष का होगा लाभ
इस कोल परियोजना से जिले और राज्य को लगभग 500 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का राजस्व मिलने का अनुमान है. वहीं इस लाभ से प्रशासन अनेक लाभप्रद और कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू कर सकेगा. परियोजना से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए चंदौल गांव में 161.99 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. इसके लिए हजारीबाग समाहरणालय में रैयतों को मुआवजे के रूप में दी जाने वाली 478 करोड़ रुपए की राशि जमा कर दी गई है.
इन इलाकों में जमीन किया जाएगा अधिग्रहण
झारखंड में 199 कोयला खदानें सालाना 15.6 करोड़ टन कोयला उत्पादित करती हैं. गोंदुलपारा परियोजना की प्रक्रिया के तहत बड़कागांव के बलोदर में 91.35 एकड़, गोंदुलपारा 285.715 एकड़, गाली में 175.45 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है.
लोगों को जमीन के बदले क्या मिलेगा ?
- रैयतों को प्रति एकड़ भूमि के मुआवजा के रूप में 24,56,986 रूपये (गुणाक घटक-2, सांत्वना राशि 100 प्रतिशत एवं तीन वर्ष की ब्याज की राशि सहित) दिए जाएंगे.
- भूमि पर स्थित परिसम्पतियों का भी मुआवजा मिलगा. इसके लिए राज्य सरकार का संबंधित विभाग उन सम्पत्तियों का मूल्यांकन करेगा, जिसके बाद उस राशि का दुगुना मुआवजा के रूप में दिया जाएगा.
- विस्थापित परिवारों को तीन विकल्पों का लाभ मिलेगा, जिसके तहत वो कोई एक चुन सकते हैं.
घर बनाने के लिए परिवार को मिलेंगे ये विकल्प
विकल्प एक के तहत 10 लाख रुपए प्रति परिवार मिलेगा, जिससे वे खुद कहीं और निवास करने जा सकते हैं. नियमानुसार, प्रति परिवार में पति, पत्नी और उनके अवयस्क बच्चे शामिल होंगे. इसके अलावा परिवार में अगर 18 साल से ऊपर विवाहित या अविवाहित व्यक्ति हैं, तो उन्हें एक परिवार के रूप में माना जाएगा. दूसरे विकल्प के तहत पुनर्वास कॉलोनी में बना बनाया नया मकान दिया जाएगा और तीसरे विकल्प के तहत पुनर्वास कॉलोनी में जमीन का एक प्लॉट दिया जाएगा और पुनर्वास कॉलोनी में मकान के बदले सात लाख रुपए दिए जाएंगे।
मिलेंगे रोजगार के अनेक अवसर
इस कोयला खदान से विस्थापित होने वाले परिवारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करावाए जाएंगे. प्रभावित परिवार अपनी प्राथमिकता के अनुसार रोजगार, मुआवजा और प्रति महीने भुगतान में से एक को चुन सकते हैं. प्रभावित परिवारों और प्रशासन के साथ परामर्श कर नियमानुसार तय किए हुए मुआवजे की रूपरेखा प्रभावित परिवार के एक सदस्य को समुचित प्रशिक्षण और कौशल विकास करने के बाद उनकी योग्यता एवं कम्पनी की आवश्यकता अनुसार नौकरी का प्रावधान है. इसके बदले प्रभावित परिवार एक मुश्त पांच लाख रूपये ले सकते हैं या फिर 20 वर्षों तक दो हजार रूपये प्रतिमाह भुगतान का चयन कर सकते हैं.
जीवन-यापन समेत अन्य कार्यों के लिए भी ú j ka रुपए
विस्थापित कुटुंबों (रैयत) को एक वर्ष की अवधि तक जीवन यापन के लिए अनुदान के रूप में हर महीने तीन हजार रुपए मिलेंगे.
विस्थापन के दौरान पुनर्वास भत्ते के रूप में 50 हजार रुपए, परिवहन खर्च के तहत 50 हजार रुपए और पशुबाड़ा के लिए भी अलग से 35 हजार रुपए (यानि 1,45,000 रुपए) प्रति परिवार दिया जाएगा.
स्वनियोजित व्यक्ति के प्रत्येक प्रभावित परिवार को पच्चीस हजार रूपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता मिलेगी.
प्रभावित परिवारों को आवंटित जमीन या मकान के निबंधन के लिए स्टांप शुल्क और अन्य शुल्क खननकर्ता की ओर से दिए जाएंगे और आवंटित मकान के लिए भूमि पर कर नहीं लगेगा। यह उल्लेखनीय है कि जमीन या मकान पत्नी और पति दोनों के संयुक्त नाम में हो सकेगा.
झारखंड में एक माह में तीन कोल ब्लॉक से उत्पादन, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर और राजस्व
झारखंड के तीन कोयला खदानों से कोयला का उत्पादन शुरू हो जायेगा. खान विभाग द्वारा आकलन किया गया है कि तीनों कोल ब्लॉक से उत्पादन आरंभ होने से राज्य को करीब 1500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व का लाभ होगा
एक माह में झारखंड के तीन कोयला खदानों से कोयला का उत्पादन शुरू हो जायेगा. खान विभाग द्वारा आकलन किया गया है कि तीनों कोल ब्लॉक से उत्पादन आरंभ होने से राज्य को करीब 1500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व का लाभ होगा. विभाग द्वारा तीनों कोयला खदानों के उत्पादन की मॉनिटरिंग की जा रही है, ताकि जल्द से जल्द उत्पादन हो सके.
बताया गया कि एनटीपीसी के चट्टी-बरियातू कोयला खदान से 29 सितंबर को पहली बार कोयला निकाला गया. पर कॉमर्शियल डिस्पैच लायक कोयला नहीं निकला है. अब अगले एक माह में कोयले का डिस्पैच भी आरंभ हो जायेगा. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा इस कोयले पर रॉयल्टी भी आरंभ हो जायेगी.